तलाक और भरण-पोषण कानून का दुरुपयोग !

 

तलाक और भरण-पोषण कानून: पुरुषों के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में सुधार की आवश्यकता । 



तलाक और भरण-पोषण कानून भारत में विवाह संबंधों को नियंत्रित करने वाले महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। इनका उद्देश्य तलाक के बाद आर्थिक रूप से कमजोर पक्ष को सहायता प्रदान करना है। हालांकि, समय के साथ इन कानूनों के दुरुपयोग की शिकायतें बढ़ी हैं, जिससे पुरुषों को कानूनी और आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ता है। इस ब्लॉग में हम इन कानूनों की समीक्षा करेंगे और उन सुधारों पर चर्चा करेंगे जो पुरुषों को न्याय दिलाने में मदद कर सकते हैं।

1. तलाक और भरण-पोषण कानून क्या है?

तलाक के बाद भरण-पोषण (Maintenance) का प्रावधान भारतीय कानून में विभिन्न अधिनियमों के तहत किया गया है:

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – इसमें महिलाओं को तलाक के बाद भरण-पोषण का अधिकार दिया गया है।
  • दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 – यह कानून पत्नी, बच्चों और माता-पिता को भरण-पोषण दिलाने के लिए लागू होता है.
  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 144 – यह नया प्रावधान भरण-पोषण के मामलों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लागू किया गया है.

2. क्या इस कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है?

हाल के वर्षों में कई मामलों में यह देखा गया है कि कुछ महिलाओं ने भरण-पोषण कानूनों का दुरुपयोग किया है।

  • झूठे आरोप और कानूनी उत्पीड़न – कई पुरुषों ने शिकायत की है कि उन्हें झूठे घरेलू हिंसा या दहेज उत्पीड़न के मामलों में फंसाया गया है.
  • अत्यधिक वित्तीय बोझ – तलाक के बाद पुरुषों को अत्यधिक भरण-पोषण देने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है.
  • भरण-पोषण का पुनः दावा – कुछ मामलों में, महिलाएं आपसी सहमति से तलाक के बाद भी परिस्थितियों में बदलाव का हवाला देकर पुनः भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं.

3. इस कानून में कौन-कौन से बदलाव होने चाहिए?



पुरुषों को न्याय दिलाने के लिए निम्नलिखित सुधारों की आवश्यकता है:

  1. लिंग-निरपेक्ष कानून – भरण-पोषण और घरेलू हिंसा कानूनों को लिंग-निरपेक्ष बनाया जाए ताकि पुरुषों को भी कानूनी सुरक्षा मिले।
  2. झूठे मामलों पर सख्त कार्रवाई – झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया जाए।
  3. भरण-पोषण की गणना में पारदर्शिता – भरण-पोषण की राशि तय करने के लिए स्पष्ट और निष्पक्ष मानदंड बनाए जाएं।
  4. पिता के अधिकारों की सुरक्षा – तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी और परवरिश में पिता की भूमिका को मजबूत किया जाए.
  5. समयबद्ध न्याय प्रक्रिया – पुरुषों के खिलाफ झूठे मामलों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए विशेष न्यायिक प्रक्रिया लागू की जाए।

🔸 महत्वपूर्ण बातें:

  • अगर महिला खुद सक्षम है (कमाने वाली है), तो भरण-पोषण की राशि कम हो सकती है या न के बराबर।
  • पति की आमदनी, संपत्ति और जीवनशैली के अनुसार भरण-पोषण तय होता है।
  • बच्चे के पालन-पोषण के लिए दोनों माता-पिता जिम्मेदार होते हैं।

निष्कर्ष

तलाक और भरण-पोषण कानूनों का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा देना था, लेकिन समय के साथ इनका दुरुपयोग भी सामने आया है। पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी सुधारों की आवश्यकता है ताकि न्याय प्रणाली अधिक संतुलित और निष्पक्ष हो।

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