बेरोजगारी



बेरोजगारी एक समाजिक समस्या है जो उन लोगों को उत्पन्न करती है जो लोगों के पास उनके योग्यताओं के अनुरूप काम नहीं हैं और वे उन कामों के लिए उपलब्ध नहीं हैं जो श्रम शक्ति की खोज में होते हैं। यह समस्या एक देश या क्षेत्र में आर्थिक विकास, उद्यमिता और विकास की स्थिति की तुलना में उपयुक्त नहीं होती है।

बेरोजगारी से पीड़ित लोगों को उनके कौशल, अनुभव और रुचि के अनुसार अधिक संभवतः रोजगार के अवसर प्रदान करने की मदद करने के लिए विभिन्न पहल शुरू की गई हैं जैसे कि कौशल विकास के लिए योजनाएं, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए बिजनेस दस्तावेजी, स्टार्टअप योजनाएं, सरकारी नौकरियों के अवसर, आदि।
भारत में बेरोजगारी की समस्या बहुआयामी है और इसके पीछे कई कारण हैं। नीचे इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई है:

📊 भारत में वर्तमान बेरोजगारी दर और वैश्विक स्थिति

  • अप्रैल 2025 में भारत की मासिक बेरोजगारी दर 5.1% थी, जिसमें पुरुषों के लिए 5.2% और महिलाओं के लिए 5.0% दर्ज की गई।

  • युवा बेरोजगारी (15-29 वर्ष) की दर 13.8% है, जो कि कुल बेरोजगारी दर से कहीं अधिक है।

  • वैश्विक रैंकिंग में, भारत 2025 में लगभग 4.8% बेरोजगारी दर के साथ 131वें स्थान पर है।

🔍 भारत में बेरोजगारी बढ़ने के प्रमुख कारण

  1. कौशल और नौकरी की मांग में असंतुलन: कई युवा स्नातक उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल नहीं रखते, जिससे वे बेरोजगार रहते हैं या अपनी योग्यता से कमतर नौकरियों में काम करते हैं।

  2. शहरी क्षेत्रों में उच्च बेरोजगारी: शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 6.5% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.5% है।

  3. औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों की कमी: भारत में अधिकांश रोजगार अनौपचारिक क्षेत्र में हैं, जो स्थिरता और सुरक्षा प्रदान नहीं करते।

  4. स्वचालन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभाव: IT और BPO जैसे क्षेत्रों में स्वचालन के कारण 2022 से 2024 के बीच 500,000 से अधिक नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं।

  5. शिक्षा प्रणाली और उद्योग की आवश्यकताओं में अंतर: उच्च शिक्षा प्राप्त युवा भी उपयुक्त नौकरियों के अभाव में असंतुष्ट हैं।

🛠️ बेरोजगारी को कम करने के उपाय

  1. कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार: सरकार को उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए।

  2. MSME और स्टार्टअप्स को समर्थन: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को वित्तीय सहायता और सरल नीतियों के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

  3. शिक्षा प्रणाली में सुधार: पाठ्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।

  4. महिला श्रम बल भागीदारी में वृद्धि: महिलाओं के लिए सुरक्षित और लचीले कार्य वातावरण की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

  5. नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन: नवाचार केंद्रों और स्टार्टअप्स के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना चाहिए।

🔚 निष्कर्ष

हालांकि भारत की बेरोजगारी दर में हाल के वर्षों में कुछ कमी आई है, लेकिन युवा बेरोजगारी, कौशल असंतुलन और औपचारिक नौकरियों की कमी जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए समग्र और लक्षित नीतियों की आवश्यकता है।

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