"तंबाकू: धीमा ज़हर और इसकी विनाशकारी सच्चाई"
"तंबाकू: धीमा ज़हर और इसकी विनाशकारी सच्चाई"
"सिगरेट का एक कश, ज़िंदगी से एक दिन कम" – ये सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि एक कड़वी हकीकत है। तंबाकू यानी टोबैको, एक ऐसा धीमा ज़हर है जो हर साल लाखों ज़िंदगियाँ निगल जाता है। इसके बावजूद, आज भी यह उत्पाद खुले आम बिकता है और लोग इसका सेवन करते हैं। लोगों को पता है लेकिन फिर भी 30% लोग तंबाकू का सेवन करते है
आखिर क्यों? आइए समझते हैं कि तंबाकू मानव जीवन के लिए कितना घातक है और सरकार इसे पूरी तरह बंद क्यों नहीं कर पाती।
तंबाकू: शरीर के लिए ज़हर क्यों है?
तंबाकू में निकोटिन नामक एक शक्तिशाली रसायन होता है, जो नशे की लत लगा देता है। इसका सेवन चाहे सिगरेट, बीड़ी, गुटखा या ज़र्दा के रूप में हो – इसका असर शरीर के लगभग हर अंग पर होता है। यह:
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फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है (फेफड़ों का कैंसर)
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दिल की बीमारियाँ पैदा करता है
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मुँह, गले और खाने की नली का कैंसर करता है
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प्रजनन क्षमता को कम करता है
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त्वचा और दांतों को खराब करता है
तंबाकू से होने वाली मौतें: एक भयावह आँकड़ा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार:
हर साल दुनिया में लगभग 80 लाख (8 मिलियन) लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण मरते हैं।
भारत में ही हर साल लगभग 13 लाख (1.3 मिलियन) लोगों की मृत्यु तंबाकू से होती है।अगर देखा जाए तो हर दिन 3,699 ओर हर घंटे 154 लोग तंबाकू खाने से मर जाते है ।
इनमें से कई मौतें ऐसी बीमारियों से होती हैं जिनका इलाज संभव नहीं होता। और सबसे दुःख की बात यह है कि ये मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं – यदि तंबाकू का सेवन ही न किया जाए।
सरकार तंबाकू को पूरी तरह बंद क्यों नहीं करती?
तंबाकू पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना एक जटिल मुद्दा है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलू शामिल हैं। भारत में तंबाकू उद्योग लाखों लोगों को रोजगार देता है और सरकार को इससे महत्वपूर्ण कर राजस्व प्राप्त होता है।
हालांकि, सरकार ने तंबाकू नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (COTPA), 2003, और राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP)। इसके अलावा, तंबाकू उत्पादों पर भारी कर लगाया जाता है ताकि इसकी खपत को कम किया जा सके।
जहाँ तक तंबाकू कंपनियों और सरकार के संबंध की बात है, कुछ रिपोर्टों में यह संकेत मिलता है कि तंबाकू उद्योग सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करता है। लेकिन सरकार ने WHO फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) को अपनाया है, जो तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप को सीमित करने के लिए बनाया गया है।
यह सवाल आम लोगों के मन में अक्सर उठता है। इसके कई कारण हैं:
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आर्थिक लाभ: तंबाकू उद्योग सरकार को हर साल अरबों रुपये का टैक्स देता है।
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रोज़गार: लाखों लोग तंबाकू की खेती, पैकेजिंग और बिक्री से जुड़े हुए हैं।
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राजनीतिक दबाव: तंबाकू उद्योगों का राजनेताओं और नीति-निर्माताओं पर प्रभाव होता है।
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आदत और लत: तंबाकू की लत इतनी गहरी होती है कि इसे एकदम रोकना व्यवहारिक रूप से कठिन हो जाता है ।
🔍 तंबाकू की लत आसानी से क्यों नहीं छूटती?
🧪 1. निकोटिन: एक शक्तिशाली नशा
तंबाकू में मौजूद निकोटिन (Nicotine) एक ऐसा रसायन है जो सीधे मस्तिष्क पर असर करता है।
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यह "डोपामिन" नामक खुशी का हार्मोन तेजी से रिलीज करता है, जिससे व्यक्ति अच्छा महसूस करता है।
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बार-बार सेवन से मस्तिष्क इसकी आदत डाल लेता है, और बिना निकोटिन के बेचैनी, चिड़चिड़ापन, तनाव महसूस होने लगता है।
इसी कारण इसे “साइंटिफिकली एडिक्टिव (वैज्ञानिक रूप से नशे वाला)” माना जाता है।
🧠 2. मानसिक आदत और दिनचर्या से जुड़ाव
तंबाकू कई बार सिर्फ नशा नहीं, बल्कि एक आदत बन जाता है:
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चाय के साथ सिगरेट
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तनाव में गुटखा
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दोस्तों के बीच सिगरेट
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बोरियत में तंबाकू
यानी इसका मानसिक कनेक्शन जीवन की रोजमर्रा की आदतों से गहराई से जुड़ा होता है।
👥 3. सामाजिक दबाव और वातावरण
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कई लोग तंबाकू का सेवन दोस्ती निभाने, ट्रेंड या मर्दानगी दिखाने के लिए शुरू करते हैं।
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आसपास के लोग अगर इसका सेवन कर रहे हों तो छोड़ना और भी मुश्किल हो जाता है।
😣 4. निकासी लक्षण (Withdrawal Symptoms)
जब कोई तंबाकू छोड़ने की कोशिश करता है तो उसे कुछ लक्षण झेलने पड़ते हैं:
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सिरदर्द
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चिड़चिड़ापन
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बेचैनी
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ध्यान में कमी
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नींद की कमी
👉 ये लक्षण ही लोगों को दोबारा तंबाकू की ओर खींच लेते हैं।
💰 5. सस्तेपन और उपलब्धता
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तंबाकू उत्पाद बेहद सस्ते और हर जगह आसानी से उपलब्ध होते हैं।
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सड़क किनारे, पान की दुकान, स्टेशन – हर जगह मिल जाता है, जिससे छोड़ने के बाद भी दोबारा शुरू करना आसान हो जाता है।
✅ तो क्या छोड़ा नहीं जा सकता?
छोड़ा जा सकता है, बशर्ते:
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मजबूत इच्छा शक्ति हो
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धीरे-धीरे सेवन कम करें
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परिवार और दोस्तों का सहयोग लें
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निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (जैसे गम, पैच) का इस्तेमाल करें
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योग और ध्यान से मानसिक संतुलन बनाए रखें
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परामर्श (Counseling) लें
सरकार और समाज की भूमिका: क्या किया जा रहा है?
फिर भी, कई सकारात्मक प्रयास भी हो रहे हैं:
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सिगरेट के पैकेट पर डरावनी तस्वीरें और चेतावनी
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पब्लिक प्लेसेज़ में धूम्रपान पर रोक
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तंबाकू उत्पादों पर भारी टैक्स
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जागरूकता अभियान (जैसे “नो टोबैको डे” – 31 मई)
लेकिन ये कदम तब तक प्रभावी नहीं हो सकते जब तक आम जनता खुद जागरूक न हो।
तंबाकू कंपनी का मार्केट इंडिया में कितना बडा है ?
2024 तक के अनुमान के आधार भारत का तंबाकू उद्योग लगभग ₹1.2 लाख करोड़ (₹1.2 ट्रिलियन) रुपये का है। इसमें सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, ज़र्दा आदि सभी उत्पाद शामिल हैं। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है (चीन के बाद)। साथ ही करीब 3.5 करोड़ लोग (35 मिलियन) प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्योग से जुड़े हैं जिसमे किसान मजदूर विक्रेता प्रोसेसिंग और पैकेजिंग वर्कर आदि शामिल है । अगर बात खेती की जाए तो भारत में लगभग 12 राज्यों में तंबाकू की खेती होती है, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना , गुजरात कर्नाटक उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्य है ।
निष्कर्ष: समाधान आपके हाथ में
सरकार चाहे जितने भी नियम बनाए, लेकिन असली बदलाव तब आएगा जब हम खुद निर्णय लें कि हमें अपने शरीर के साथ अन्याय नहीं करना है। तंबाकू छोड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन नामुमकिन नहीं।
"स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है – उसे तंबाकू के हवाले क्यों करें?"
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