शराब: एक सामाजिक और स्वास्थ्य संकट !

 

शराब: एक सामाजिक और स्वास्थ्य संकट !

शराब का सेवन दुनिया भर में एक आम प्रथा है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत में शराब से जुड़ी समस्याएं न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डालती हैं। इस ब्लॉग में हम शराब के स्वास्थ्य पर प्रभाव, देश में इसके दुष्परिणाम, सरकार द्वारा पूर्ण प्रतिबंध न लगाने के कारण, शराब से होने वाली मौतों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर चर्चा करेंगे।

शराब सेहत के लिए कितनी हानिकारक है?

शराब का सेवन शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है। इसके प्रमुख दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • लीवर की बीमारियां: .शराब का सेवन लीवर पर गंभीर प्रभाव डालता है और कई बीमारियों का कारण बन सकता है। लीवर शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन सेंटर होता है, जो हानिकारक पदार्थों को फ़िल्टर करता है। लेकिन शराब के लगातार सेवन से लिवर की कार्य क्षमता प्रभावित होती है और कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे - लिवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस ,  फैटी लिवर यहां तक की लिवर कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है । 
  • हृदय रोग: शराब का सेवन हृदय पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. यह ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, जिससे हाइपरटेंशन का खतरा रहता है. अधिक मात्रा में शराब पीने से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, जिससे अचानक दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है.

    इसके अलावा, शराब धमनियों में प्लाक जमा कर सकती है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. लंबे समय तक शराब पीने से हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे हार्ट फेलियर हो सकता है.

  • कैंसर का खतरा: WHO के अनुसार, शराब सेवन से मुंह, गले, लिवर और स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
  • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: शराब का सेवन मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करता है, जिससे मूड स्विंग, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
          दीर्घकालिक प्रभाव :
  • याददाश्त कमजोर हो सकती है और संज्ञानात्मक क्षमता प्रभावित हो सकती है.
  • निर्णय लेने की क्षमता और तर्क करने की शक्ति कम हो सकती है.
  • नींद की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जिससे अनिद्रा की समस्या बढ़ सकती है.
  • आक्रामकता और आवेगपूर्ण व्यवहार बढ़ सकता है, जिससे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकता है.

    अल्पकालिक प्रभाव:

  • समन्वय और प्रतिक्रिया समय धीमा हो सकता है.
  • अस्थायी उत्साह महसूस हो सकता है, लेकिन बाद में चिंता और अवसाद बढ़ सकता है.

    यदि शराब का सेवन नियमित और अधिक मात्रा में किया जाए, तो यह मस्तिष्क की संरचना को भी नुकसान पहुंचा सकता है

  • पाचन तंत्र पर असर: शराब आंतों की परत को नुकसान पहुंचाती है, जिससे गैस्ट्राइटिस और अल्सर जैसी समस्याएं हो सकती हैं.


देश में शराब के क्या-क्या दूष परिणाम हुए हैं?

भारत में शराब के सेवन से कई सामाजिक और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं:

  • घरेलू हिंसा: शराब पीने के बाद व्यक्ति का व्यवहार इस हद तक बदल जाता है कि वह अपने ही परिवार के सदस्यों—जैसे पत्नी, बच्चे या बुजुर्गों—के साथ हिंसक या अपमानजनक व्यवहार करने लगता है।शराब के कारण घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ । 
  • अवैध शराब का कारोबार: कई राज्यों में शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है, जिससे जहरीली शराब के कारण मौतें होती हैं.। 
  • युवाओं में बढ़ती लत: भारत में शराब पीने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है । 
  • आर्थिक नुकसान: शराब की बिक्री से सरकार को राजस्व मिलता है, लेकिन इससे जुड़े स्वास्थ्य खर्च और सामाजिक समस्याओं के कारण देश को भारी आर्थिक नुकसान भी होता है.

शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती सरकार?

हालांकि भारत के कुछ राज्यों में शराबबंदी लागू है, लेकिन पूरे देश में इसे प्रतिबंधित करना कठिन है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • राजस्व का बड़ा स्रोत: शराब से सरकार को भारी कर राजस्व प्राप्त होता है। कई राज्यों में शराब बिक्री से 10-15% तक का राजस्व आता है.
  • अवैध कारोबार का खतरा: पूर्ण प्रतिबंध से अवैध शराब का कारोबार बढ़ सकता है, जिससे जहरीली शराब के मामले बढ़ सकते हैं.
  • सामाजिक और सांस्कृतिक कारण: कई समुदायों में शराब का सेवन सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, जिससे इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करना मुश्किल हो जाता है.
  • राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियां: शराबबंदी लागू करने से राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं.

देश में कितनी मौतें शराब की वजह से हो जाती हैं?

शराब से होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक है:

  • हर साल 2.6 लाख भारतीयों की मौत शराब के कारण होती है । 
  • 2014 से 2022 तक भारत में जहरीली शराब से 10,000 से अधिक मौतें हुई हैं । 
  • शराब से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं में हर साल हजारों लोग मारे जाते हैं। 
  • WHO के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 26 लाख लोग शराब के कारण मरते हैं । 

शराब पर WHO की रिपोर्ट क्या कहती है?

WHO की रिपोर्ट शराब के खतरों को स्पष्ट रूप से उजागर करती है:

  • शराब सेवन की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है.
  • शराब सेवन से 200 से अधिक बीमारियां हो सकती हैं.
  • शराब के कारण हर साल 26 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से 38.5% भारत में होती हैं.
  • युवाओं में शराब की लत तेजी से बढ़ रही है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है.

निष्कर्ष

शराब का सेवन न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। भारत में शराब से जुड़ी समस्याओं को हल करने के लिए सख्त कानून, जन जागरूकता अभियान और पुनर्वास कार्यक्रमों की आवश्यकता है। सरकार को शराबबंदी के साथ-साथ अवैध शराब के कारोबार पर भी सख्त नियंत्रण रखना होगा।

शराब से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, जागरूकता फैलाना और शराब की लत से बचने के उपाय करना आवश्यक है।

क्या आपको लगता है कि भारत में पूर्ण शराबबंदी होनी चाहिए? अपने विचार साझा करें!

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