क्या सच में हम भारतीय ही है ?

 क्या भारतीय सच में भारतीय नहीं हैं? – एकता बनाम भेदभाव की सोच पर सवाल !

जी हां हम बिल्कुल भारतीय नहीं नहीं है क्योंकि राज्य की सीमा या भाषा बदल जाने से हम भारतीय नहीं रह जाते है । उत्तर मे जाओ  तो में वहाँ के लोग कहते है की में उत्तर भारतीय हूँ, दक्षिण में जाओ दक्षिण भारतीय हूँ ऐसे ही पूर्व में पूर्वी ओर पश्चिम में पश्चिमी ये सब ने अपने आप को दिशा के हिसाब से बाट लिया पर बात यहां ही खत्म नहीं होती है दिशा के  हिसाब से बाटने के बाद फिर भाषा के हिसाब से भी बाट दिया है मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, असमिया  तमिल  बिहारी  जितनी भाषा से है उतनी भाषा के हिसाब से भी बाट लिया है । हम यहां तक ही नहीं रुके, फिर हमने खुद को राज्य के हिसाब से भी बात लिया है गुजरात में जाओ तो गुजराती बिहार में जाओ तो बिहारी बंगाल में जाओ तो बंगाली ! तो अब आप ही बताओ क्या हम सच में भारतीय है ? यूं तो कहने को भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है लेकिन फिर भी यहां धर्म के नाम पर भी अलग अलग बाँट रखा है । धर्म में से फिर समाज के हिसाब से बट गए फिर समाज में से भी जातियों के हिसाब से बट गए । आखरी में गाँव और शहर के हिसाब से भी बट गए ।  हम देश वासियों ने कभी भी एक होने की कोशिश नहीं की बस बटते गए बटते गए और आज तक बटते आ रहे है । 

दुखद सच्चाई यह है कि हां, कभी-कभी हम भारतीय अपनी ही पहचान के नाम पर आपस में टकराते हैं। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, भाषा, क्षेत्र, जाति और धर्म के नाम पर बहसें होती हैं।

लेकिन सवाल यह नहीं कि हम लड़ते हैं। सवाल यह है – क्या हमें ऐसा करना चाहिए? 

यह सवाल जितना सरल दिखता है, उसका जवाब उतना ही गहरा और सोचने लायक है।

हम लोगों में एकता बस कुछ ही मौकों पर दिखती है 15 अगस्त , 26 जनवरी या फिर भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो तब नहीं तो बस हम हमेशा आपस मे लड़ते ही रहते है कभी धर्म के नाम पर तो कभी जाती के नाम पर तो भाषा के नाम पर तो कभी क्षेत्र के नाम पर । हमारी इसी लड़ाई की वजह से देश कभी कभी सांप्रदायिक घटनाएं भी हुई है । 

🕊️ अब समय है सोच बदलने का



अगर भारत को सशक्त और एकजुट बनाना है, तो हमें इस अलगाव की सोच को समाप्त करना होगा। जब तक हम इन छोटे-छोटे "मैं कौन हूं?" के भेदों में उलझे रहेंगे, तब तक "हम भारतीय हैं" यह भावना कमजोर पड़ती रहेगी।

🕊️ भारतीय समाज को एकजुट करने के 7 असरदार उपाय

1. 🇮🇳 पहचान से पहले भारतीयता को रखें

"मैं मराठी हूँ", "मैं पंजाबी हूँ" कहने से पहले कहें – "मैं भारतीय हूँ". यही सोच समाज को जोड़ती है।

2. 🗣️ एक-दूसरे की भाषा और संस्कृति का सम्मान करें

हर भाषा, हर संस्कृति भारत की पहचान है। इसे "बेहतर" या "कमतर" की तुलना में न देखें।

3. 📚 शिक्षा और जागरूकता फैलाएं

जातिवाद, क्षेत्रवाद और धार्मिक कट्टरता की जड़ अज्ञानता है। सही शिक्षा इस सोच को तोड़ सकती है।

4. 🤝 मिल-जुलकर त्योहार और पर्व मनाएं

होली, ईद, पोंगल, बैसाखी, क्रिसमस — जब हम सब एक-दूसरे के त्योहारों में भाग लेते हैं, तो दिल करीब आते हैं।

5. 🧒 बच्चों में एकता की भावना का बीज बोएं

बचपन से ही बच्चों को यह सिखाएं कि भले ही हम अलग-अलग दिखते हैं, लेकिन हैं एक देश के नागरिक।

6. 📢 नफरत फैलाने वालों को जवाब दें – प्रेम से

राजनीति या सोशल मीडिया पर कोई भी नफरत फैलाए, तो चुप न रहें — शांति और तर्क से जवाब दें।

7. 🧭 खुद से शुरुआत करें

परिवर्तन की शुरुआत समाज से नहीं, आप से होती है। जब आप खुद में एकता और समानता का व्यवहार अपनाएंगे, समाज अपने आप बदलेगा।

✍️ निष्कर्ष



भारतीय होना एक गर्व है, न कि बहस का विषय।
हम सभी भले ही अलग-अलग राज्यों, भाषाओं और संस्कृतियों से हों, लेकिन दिल एक है – और वह दिल है भारत

हमारे संविधान ने हमें एकजुट किया है। राष्ट्रगान जब बजता है, तो वहां कोई उत्तर या दक्षिण नहीं होता – बस एक भारत होता है।

अगर भारत को एक महान राष्ट्र बनाना है, तो पहले हमें "मैं" से "हम" तक का सफर तय करना होगा।

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