कितना खतरनाक है प्लास्टिक ?
प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में आपको ये बात पता होना चाहिए ?
दुनिया में कितना प्लास्टिक है ? बहुत अधिक शोधकर्ता अनुमान है की 1950 के दशक अब तक इंसान ने करीब 920 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन किया है जिसमें से 700 करोड़ टन कचरा है । हर साल 80 लाख टन से अधिक प्लास्टिक समुद्रों में पहुँचता है।अनुमान है की 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगी ।
🧨 सबसे ज्यादा समस्या पैदा करने वाले प्लास्टिक:
1. सिंगल यूज़ प्लास्टिक (Single-use Plastic)
| 📌 उदाहरण | प्लास्टिक बैग, पानी की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट, पैकेजिंग सामग्री |
| 🚫 समस्या |
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केवल एक बार उपयोग के बाद फेंक दिया जाता है ।
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रिसाइक्लिंग की संभावना कम ।
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बड़ी मात्रा में कचरा पैदा करता है ।
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समुद्रों और नदियों में सबसे ज्यादा पाया जाता है ।
2. माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics)
| 📌 उदाहरण | टूथपेस्ट, स्क्रब, सिंथेटिक कपड़े, टायर से निकलने वाले कण |
| 🚫 समस्या |
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बहुत सूक्ष्म होते हैं, आंखों से नहीं देखे जा सकते ।
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पीने के पानी, भोजन, यहां तक कि हवा में भी मिल चुके हैं ।
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मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और हॉर्मोनल व स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं ।
3. PVC (Polyvinyl Chloride)
| 📌 उदाहरण | पाइप, केबल, नकली चमड़ा, पैकेजिंग |
| 🚫 समस्या |
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बनाने और जलाने में विषैले रसायन निकलते हैं (जैसे: डाइऑक्सिन) ।
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रिसाइकल करना मुश्किल ।
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पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ।
4. Polystyrene (Thermocol / Styrofoam)
| 📌 उदाहरण | डिस्पोजेबल कप, प्लेट, फूड पैकेजिंग |
| 🚫 समस्या |
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हल्का होने के कारण उड़कर आसानी से फैलता है ।
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रिसाइकल करना मुश्किल ।
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समुद्री जीव इसे खाना समझकर खा जाते हैं — जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है ।
5. Plastic Films और Wrappers (LDPE)
| 📌 उदाहरण | चिप्स के पैकेट, बबल रैप, दूध की थैलियाँ |
| 🚫 समस्या |
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पतले और हल्के होने के कारण रिसाइकल नहीं हो पाते ।
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लैंडफिल में भरते जाते हैं और सड़ने में सैकड़ों साल लगते हैं ।
🧪 Bonus: कौन से प्लास्टिक ज़्यादा रिसाइकल होते हैं?
| ✅ रिसाइकल होने योग्य | PET (1), HDPE (2) जैसे बोतलें और कंटेनर |
| ❌ मुश्किल से रिसाइकल | PVC (3), LDPE (4), PS (6), Other (7) |
प्लास्टिक प्रदूषण कहाँ कहाँ पाया जाता है ? लगभग हर जगह झीलों, नदियों, महासागर शहरों की सड़कों, खेतों यहां तक की माउंट एवरेस्ट और मैरियान ट्रेंच जैसी जगहों पर भी ।
प्लास्टिक प्रदूषण इतना बड़ा मुद्दा क्यों है ?
- पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान: प्लास्टिक कचरे को खाना समझकर गाय, कुत्ते, बंदर आदि खा लेते हैं, जिससे उनका पाचन तंत्र बंद हो जाता है । पक्षी प्लास्टिक के छोटे टुकड़ों को चारा समझ लेते हैं, जिससे उनकी आंतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। प्लास्टिक को विघटित होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होता है और मिट्टी और पानी में जहरीले रसायन निकलते हैं, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ता है।
- समुद्री जीवन पर प्रभाव: हर वर्ष लाखों समुद्री जीव जन्तुओं द्वारा प्लास्टिक खाने या उसमें उलझ जाने से या तो वो क्षतिग्रस्त हो या फिर वो मरे जाते हैं। जिस से समुद्रीय जल भी प्रदूषित तो होता ही है उसके साथ साथ नदियां भी प्रदूषित होती है जिसका असर पीने योग्य पानी पर भी होता है ।
मिट्टी की उर्वरता कम होना: प्लास्टिक मिट्टी में लंबे समय तक बना रहता है और उसमें हानिकारक रसायन छोड़ता है। इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता और पोषण तत्वों की गुणवत्ता घट जाती है, जिससे खेती प्रभावित होती है।
खाद्य श्रृंखला (Food Chain) पर प्रभाव : जब प्लवक (plankton) से लेकर मछलियाँ प्लास्टिक निगलती हैं, तो वह मनुष्यों तक पहुँच जाती हैं, क्योंकि हम उन्हें खाते हैं।इस तरह प्लास्टिक का ज़हर पूरी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है। माइक्रोप्लास्टिक मानव शरीर में भी पाया गया है ।
प्राकृतिक संतुलन में बाधा :-प्लास्टिक के ढेरों से कृमियों और बैक्टीरिया का प्रसार होता है।इससे बीमारी फैलने की संभावना बढ़ जाती है और पर्यावरणीय जैव विविधता (biodiversity) कम होती है।
जलवायु परिवर्तन में योगदान : प्लास्टिक के जलने से जहरीली गैसें जैसे डाइऑक्सिन, फ्यूरन, और मिथेन निकलती हैं जो ग्रीनहाउस गैसों को बढ़ाती हैं ।
⚠️ मनुष्य के लिए प्लास्टिक प्रदूषण की हानियाँ:
1. 🩺 स्वास्थ्य पर प्रभाव
🧬 माइक्रोप्लास्टिक का शरीर में प्रवेश:
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पीने के पानी, नमक, दूध, चाय, समुद्री भोजन, हवा — सब में माइक्रोप्लास्टिक मिल चुका है।
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ये कण सांस, भोजन या पानी के जरिए हमारे शरीर में चले जाते हैं।
🔬 नुकसान क्या होता है?
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हार्मोन में असंतुलन (Endocrine disruption)
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कैंसर की संभावना ।
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प्रजनन क्षमता में कमी ।
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लीवर, फेफड़े और आंतों को नुकसान ।
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इम्यून सिस्टम पर बुरा असर ।
3. 🍽️ खाद्य सुरक्षा और पोषण पर असर
-
मछलियाँ, केकड़े, झींगे आदि प्लास्टिक निगल जाते हैं — ये हमारे खाने में आ जाते हैं।
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टॉक्सिक रसायन (जैसे BPA, phthalates) भी भोजन में मिल सकते हैं।
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पोषण की गुणवत्ता घटती है, और बीमारियाँ बढ़ती हैं।
4. 🌆 आवासीय क्षेत्रों में प्रदूषण और बिमारियाँ
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खुले में जलाए गए प्लास्टिक से निकलता है डाइऑक्सिन, फ्यूरान और बेंजीन जैसे जहरीले गैस।
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ये साँस की बीमारियाँ, अस्थमा, स्किन एलर्जी और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
3. 🍽️ खाद्य सुरक्षा और पोषण पर असर
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मछलियाँ, केकड़े, झींगे आदि प्लास्टिक निगल जाते हैं — ये हमारे खाने में आ जाते हैं।
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टॉक्सिक रसायन (जैसे BPA, phthalates) भी भोजन में मिल सकते हैं।
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पोषण की गुणवत्ता घटती है, और बीमारियाँ बढ़ती हैं।
मछलियाँ, केकड़े, झींगे आदि प्लास्टिक निगल जाते हैं — ये हमारे खाने में आ जाते हैं।
टॉक्सिक रसायन (जैसे BPA, phthalates) भी भोजन में मिल सकते हैं।
पोषण की गुणवत्ता घटती है, और बीमारियाँ बढ़ती हैं।
5. 🧠 मानसिक और सामाजिक असर
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जब हम प्रदूषित वातावरण में रहते हैं, कचरे के बीच जीते हैं, तो मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन की संभावना भी बढ़ती है।
- बहुत से प्लास्टिक जैसे थर्मोसेट प्लास्टिक, मल्टीलेयर पैकेजिंग (चिप्स के पैकेट) आदि को रीसायकल करना बहुत मुश्किल होता है केवल 9% ही प्लास्टिक रिसाइकल हो पाता है । रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया सीमित होती है,प्लास्टिक को बार-बार रीसायकल नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर बार उसकी गुणवत्ता घटती है। रीसायकल प्लास्टिक से सिर्फ कुछ खास चीजें ही बन सकती हैं, जैसे प्लास्टिक की कुर्सियाँ, पाइप आदि। कई जगहों पर रीसाइक्लिंग का इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है,ग्रामीण क्षेत्रों या छोटे शहरों में प्लास्टिक को अलग करने, इकट्ठा करने और प्रोसेस करने की सुविधा नहीं होती। वैसे देखा जाए तो नई प्लास्टिक बनाना अक्सर रीसायकल प्लास्टिक से सस्ता पड़ता है, इसलिए कंपनियां नए प्लास्टिक का ही उपयोग करती हैं।
- राष्ट्र अब प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक वैश्विक संधि पर बातचीत कर रहे है । 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने एक वैश्विक प्लास्टिक संधि (Global Plastics Treaty) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य 2025 तक प्लास्टिक उत्पादन को नियंत्रित करना और 2040 तक प्लास्टिक कचरे को शून्य करना है। साथ ही WHO ने माइक्रोप्लास्टिक के जल और भोजन में पाए जाने पर स्वास्थ्य संगठनों ने चेतावनी दी है कि इससे हार्मोनल गड़बड़ी, कैंसर और नर्वस सिस्टम पर असर हो सकता है।
🌐 विश्व स्तर पर चलाए जा रहे प्रमुख अभियान
1. 🟢 UNEP का "Beat Plastic Pollution" अभियान
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यह अभियान हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर चलाया जाता है।
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इसका उद्देश्य है – प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूकता फैलाना और वैकल्पिक उपायों को अपनाना।
2. ♻️ Break Free From Plastic (BFFP)
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यह एक वैश्विक आंदोलन है जिसमें 11,000 से अधिक संगठन और व्यक्ति जुड़े हैं।
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यह प्लास्टिक उत्पादकों की जवाबदेही तय करने और सिंगल यूज़ प्लास्टिक को खत्म करने की मांग करता है।
3. 🧃 Plastic Bank Initiative
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यह एक सामाजिक उद्यम है जो लोगों को प्लास्टिक इकट्ठा करके बदले में डिजिटल क्रेडिट, पैसे और सुविधाएं देता है।
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यह खासतौर पर गरीब और तटीय क्षेत्रों में काम करता है।
4 . 🌏 The Ocean Cleanup
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डच इंजीनियर ब्यान स्लैट द्वारा शुरू किया गया यह मिशन समुद्री प्लास्टिक कचरा हटाने पर केंद्रित है।
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यह दुनिया के सबसे बड़े प्लास्टिक कलेक्शन सिस्टम में से एक है।
5. 📜 Ellen MacArthur Foundation – New Plastics Economy
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यह पहल प्लास्टिक उद्योग को सर्कुलर इकॉनमी की ओर मोड़ने का प्रयास करती है, जहां प्लास्टिक बार-बार इस्तेमाल हो और कचरा न बने।
6. 🇮🇳 भारत सरकार की पहलें
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2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध ।
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स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्लास्टिक कचरे का अलग संग्रह ।
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UN के साथ मिलकर पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम ।
- क्योंकि यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है, अगर हम अभी, कार्यवाही नहीं करते, तो 2060 तक प्लास्टिक कचरा तीन गुना हो जाएगा प्रतिवर्ष 100 करोड़ टन पहुँच सकता है । एक अनुमान के तौर पर हर मिनट में 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती हैं,हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक समुद्र में जा रहा है । इतना ही नहीं हर साल लाखों पक्षी, मछलियाँ और समुद्री जीव प्लास्टिक निगलकर मर जाते हैं ,कई प्रजातियाँ विलुप्त की कगार पर है इसलिए जितनी देर करेंगे, उतना ज्यादा ये फैलता जाएगा ।
हमे बड़े स्तर पर सोचने की आवश्यकता है यानी :
- सिंगल यूज प्लास्टिक पर निर्भरता को कम करना ।
- प्लास्टिक उत्पादकों को इस तरह से पुनः डिजाइन करना की वो लंबे समय तक चल सके ।
- प्लास्टिक कचरे को पर्यावरण में फैलाने से रोकना ।
- कई उत्पादो में प्लास्टिक के विकल्प ढूँढना
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