अब खेल खेल ना रह !

 


साल 2008 में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत सिर्फ एक क्रिकेट टूर्नामेंट नहीं थी, बल्कि यह भारतीय खेलों के इतिहास में एक ऐसे युग की शुरुआत थी जिसमें खेल, मनोरंजन, पैसा और राजनीति सबका संगम देखा गया। IPL मॉडल की सफलता ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में कई खेलों में फ्रेंचाइज़ी-आधारित लीग्स को जन्म दिया है। नीचे मैं भारत और विदेशों में शुरू हुई प्रमुख फ्रेंचाइज़ी लीग्स की विस्तृत सूची दे रहा हूँ, जो IPL के जैसे मॉडल पर आधारित हैं। IPL ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया, लेकिन साथ ही साथ इसने कई ऐसे प्रश्न भी खड़े किए जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

IPL के आरंभ के बाद खेल जगत में क्या बदलाव आए?

  1. खिलाड़ियों की आर्थिक स्थिति में सुधार
    IPL ने भारतीय और विदेशी खिलाड़ियों को करोड़ों की कमाई का मौका दिया। घरेलू स्तर के खिलाड़ी भी अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की तरह जीवन जी रहे हैं। IPL के आने के बाद कई खिलाड़ी उभर कर आए और नए युवाओं को अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौका मिला ।  आज देखा जाए तो देश के हर राज्य हर बड़े शहर से खिलाड़ी उभर कर आए है । 

  2. क्रिकेट का फॉर्मेट बदल गया
    T20 फॉर्मेट के कारण क्रिकेट तेज, रोमांचक और दर्शकों के लिए अधिक मनोरंजक बन गया। टेस्ट और ODI की तुलना में T20 अब युवाओं में ज्यादा लोकप्रिय है। जी हाँ, IPL (Indian Premier League) की शुरुआत के बाद क्रिकेट का फॉर्मेट और खेल का पूरा नजरिया काफी हद तक बदल गया है। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी या समय सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि खिलाड़ियों के खेलने के अंदाज़, दर्शकों की अपेक्षाओं, कमाई के तरीकों और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कार्यक्रमों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है।

  3. खेल का 'मनोरंजन' के रूप में व्यवसायीकरण
    IPL में Cheerleaders, ब्रांड प्रमोशन, फिल्मों से जुड़े सेलेब्रिटीज की भागीदारी ने खेल को मनोरंजन के एक बड़े माध्यम में बदल दिया है। IPL शुरू होने के बाद खेल विशेषकर क्रिकेट का ‘मनोरंजन’ के रूप में जो व्यवसायीकरण हुआ है, वह भारतीय खेल इतिहास में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ है।

    अब खेल केवल "खेलने" और "जीतने" का माध्यम नहीं रह गया, बल्कि वह एक शो बिज़नेस, मीडिया इवेंट, और पैसा कमाने की इंडस्ट्री बन गया है।
  4. अन्य खेलों पर प्रभाव
    अन्य खेल जैसे कबड्डी (Pro Kabaddi League), फुटबॉल (ISL), हॉकी (Hockey India League) आदि ने भी IPL से प्रेरित होकर लीग आधारित मॉडल अपनाया। लेकिन टेस्ट क्रिकेट का महत्व युवा दर्शकों और नए खिलाड़ियों में घटा है। साथ  ODI फॉर्मेट को "नीचे गिरता फॉर्मेट" कहा जाने लगा है। ICC तक ने इसे "रेड अलर्ट" में रखा है। कई खिलाड़ी ODI छोड़ कर सिर्फ T20 या फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट खेलने लगे हैं

IPL से देश को क्या फायदा हुआ?

  1. आर्थिक विकास

  • लाखों लोगों को रोजगार मिला – आयोजक, ब्रॉडकास्टिंग, विज्ञापन, होटल इंडस्ट्री आदि।

  • पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग को बढ़ावा मिला।
    2. टैलेंट की खोज
  • छोटे शहरों और गांवों से प्रतिभाशाली खिलाड़ी सामने आए (उदा. हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह)।

  • युवाओं को क्रिकेट में करियर बनाने की प्रेरणा मिली।
     3.विश्व स्तर पर भारत की साख
  • IPL आज दुनिया की सबसे महंगी और लोकप्रिय क्रिकेट लीग बन चुकी है। इससे भारत का वैश्विक प्रभाव भी बढ़ा है।
    4. इनोवेशन और तकनीकी उन्नति
  • Decision Review System (DRS), Ultra Edge, स्पोर्ट्स एनालिटिक्स आदि का प्रयोग बढ़ा।

IPL से क्या नुकसान हुआ?

  1. अन्य खेल उपेक्षित हो गए

  • हॉकी, एथलेटिक्स, तीरंदाजी जैसे पारंपरिक खेलों को मीडिया और प्रायोजकों का अपेक्षित समर्थन नहीं मिला।

     2. क्रिकेट में 'भारीपन' और संतुलन का अभाव
  • IPL के चलते टेस्ट क्रिकेट का आकर्षण कम हुआ है, जो क्रिकेट का सबसे क्लासिकल और असली फॉर्मेट है।3.

     3. भ्रष्टाचार और सट्टेबाजी
  • 2013 का स्पॉट फिक्सिंग घोटाला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इससे खेल की विश्वसनीयता को गहरा आघात पहुंचा।
     4.खिलाड़ियों का मानसिक और शारीरिक दबाव 
  • लगातार लीग खेलों के कारण चोटें बढ़ी हैं और खिलाड़ी थकावट से जूझ रहे हैं।

क्या खेल में राजनीति घुस आई है?

  1. BCCI और राजनीति

  • BCCI एक "स्वायत्त" संस्था है लेकिन इसके शीर्ष पदों पर अक्सर राजनेता दिखाई देते हैं। जैसे – अनुराग ठाकुर, शरद पवार, अरुण जेटली आदि।

     2.टीम चयन में हस्तक्षेप
  • आरोप लगे हैं कि IPL में कई बार टीम चयन और प्लेइंग XI में राजनीतिक या व्यक्तिगत हित हावी रहते है

     3. राजनीतिक ब्रांडिंग का माध्यम
  • IPL और क्रिकेट कई बार राजनीतिक दलों की ब्रांडिंग या छवि सुधार के लिए उपयोग किया गया है।

क्या खेल भी अब ‘धंधा’ बन गया है?

  1. खेल = प्रोडक्ट, खिलाड़ी = ब्रांड

  • खिलाड़ी अब सिर्फ खिलाड़ी नहीं, बल्कि "ब्रांड एम्बेसडर", "इंफ्लुएंसर" और "एंटरटेनर" बन चुके है

      2.स्पॉन्सरशिप और विज्ञापन का बोलबाला
  • एक खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से अधिक अपनी ब्रांड वैल्यू से मापा जा रहा है। विराट कोहली, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी करोड़ों के ब्रांड्स का चेहरा हैं।
    3. टैलेंट की तुलना में सेलिब्रिटी कल्चर
  • कई बार सोशल मीडिया फॉलोअर्स और ब्रांडिंग किसी खिलाड़ी के चयन में भूमिका निभाने लगे हैं, जिससे असली टैलेंट को मौका नहीं मिल पाता।

निष्कर्ष

IPL ने भारतीय खेल संस्कृति को ग्लोबल पहचान दिलाई, करोड़ों का आर्थिक लाभ पहुंचाया और युवाओं को एक नया मंच प्रदान किया। लेकिन साथ ही इसने खेल की आत्मा – निष्पक्षता, समर्पण और खेलभावना – को कई बार खतरे में भी डाला। आज समय है कि हम खेल को सिर्फ ‘धंधा’ न मानें, बल्कि उसे राष्ट्र निर्माण, स्वास्थ्य और चरित्र विकास के साधन के रूप में देखें।

जरूरी है कि खेल में राजनीति का दखल सीमित हो, खिलाड़ियों की काबिलियत को प्राथमिकता मिले और सभी खेलों को बराबरी से बढ़ावा दिया जाए। तभी भारत एक वास्तविक खेल महाशक्ति बन सकेगा।

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