ऑपरेशन सिंदूर
"ऑपरेशन सिंदूर" भारत द्वारा 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर की गई एक सटीक सैन्य कार्रवाई थी। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। "ऑपरेशन सिंदूर" की आधिकारिक प्रेस ब्रीफिंग का नेतृत्व दो महिला सैन्य अधिकारियों—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—ने किया। इन दोनों अधिकारियों ने 7 मई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ मिलकर ऑपरेशन की रणनीति, लक्ष्यों और परिणामों की जानकारी साझा की।
कर्नल सोफिया कुरैशी
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भारतीय सेना की सिग्नल कोर की वरिष्ठ अधिकारी हैं।
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2016 में "एक्सरसाइज फोर्स 18" में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।
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संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन (कांगो) में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी है।
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ऑपरेशन पराक्रम और उत्तर-पूर्व भारत में बाढ़ राहत अभियानों में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रशंसा पत्र प्राप्त कर चुकी हैं।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह
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भारतीय वायुसेना की कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं।
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"चेतक" और "चीता" हेलीकॉप्टरों का संचालन जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दुर्गम इलाकों में किया है।
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2020 में अरुणाचल प्रदेश में एक जटिल बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
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2021 में एक ऑल-वुमन ट्राई-सर्विस माउंटेनियरिंग एक्सपीडिशन का हिस्सा रहीं।
कुल मिलाकर, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की भूमिका ने भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और नेतृत्व क्षमता को उजागर किया।
इन दोनों अधिकारियों की प्रेस ब्रीफिंग न केवल सैन्य पेशेवरिता का प्रतीक थी, बल्कि यह उन महिलाओं को श्रद्धांजलि भी थी जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपने पति खोए थे। "सिंदूर" नाम भी इसी भावना को दर्शाता है, जो भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए समर्पण और बलिदान का प्रतीक है।
ऑपरेशन सिंदूर कब और क्यों किया गया था?
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त प्रयास से शुरू हुआ। इसका उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद (JeM), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को नष्ट करना था, जो भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार थे।
भारत को कितना फायदा हुआ?
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ऑपरेशन के दौरान 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया, जिसमें लगभग 100 आतंकवादी मारे गए।
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भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे "सर्जिकल प्रिसिजन" के साथ अंजाम दिया गया ऑपरेशन बताया, जिसमें नागरिक क्षेत्रों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया।
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इस ऑपरेशन ने भारत की रक्षा क्षमताओं और आत्मनिर्भरता को प्रदर्शित किया, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल प्रणाली और D4 एंटी-ड्रोन सिस्टम जैसे स्वदेशी हथियारों का उपयोग किया गया।
पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ?
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पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरिदके, मुज़फ्फराबाद और कोटली जैसे क्षेत्रों में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया।
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पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली भारतीय हमलों को रोकने में विफल रही, जिससे उसकी सैन्य क्षमताओं पर सवाल उठे।
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पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया गया, लेकिन सोशल मीडिया पर उन्हें "फेल्ड मार्शल" कहकर आलोचना का सामना करना पड़ा।
ऑपरेशन के बाद युद्ध और उसकी वास्तविक जीत किसकी हुई?
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने "ऑपरेशन बुनियान अल-मरसूस" नामक जवाबी कार्रवाई की, जिसमें भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।
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दोनों देशों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमलों का आदान-प्रदान हुआ, लेकिन अंततः 10 मई को एक संघर्षविराम समझौता हुआ।
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भारत ने आतंकवादी ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट करके अपनी सैन्य श्रेष्ठता और रणनीतिक बढ़त साबित की।
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पाकिस्तान ने भी अपनी सैन्य प्रतिक्रिया को "ऐतिहासिक जीत" बताया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने भारत की कार्रवाई को अधिक प्रभावी माना।
निष्कर्ष
"ऑपरेशन सिंदूर" भारत की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और सटीक सैन्य कार्रवाई का प्रतीक है। इसने न केवल आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि भारत की रक्षा क्षमताओं और आत्मनिर्भरता को भी प्रदर्शित किया। हालांकि पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन भारत की रणनीतिक बढ़त और अंतरराष्ट्रीय समर्थन ने इसे एक सफल ऑपरेशन के रूप में स्थापित किया।
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