खुद को खुश रखिए !
खुद की खुशी सबसे पहले !
क्या आप दूसरों को किसी काम के लिए ना कहने से कतराते है ?क्या आप दूसरों को निराश ना करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं ?क्या आप रिश्ते टूट जाने के डर से लोगों की हर बात मे हां में हां मिलाते है ?अगर वाकई आपके इन सवालों का जवाब हां है तो आप लोगों को खुश रखने वालों में से हैं।लोगों को खुश रखने वालों को दयावान, नर्म, दिल और कृपालु समझा जाता है| और यह बात काफी हद तक सत्य भी है | लेकिन अगर यह आप स्वीकृति की चाह में, अस्वीकृति के डर से और ना कहने की हिच किचाहट के कारण दूसरों को खुश रखते हैं, तो आपका यह व्यवहार आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।आप आपके इसी व्यवहार के कारण तनाव, थकान और निराशा के शिकार हो सकते हैं साथ हि आप चिढचिढे हो सकते है | खुशी एक महक की तरह होती है, जब तक हम स्वयं नहीं महकेंगे, दूसरों को कैसे महका सकते हैं?इसलिए दूसरों को खुश रखने से पहले खुद को खुश रखने की कोशिश करें। याद रखें, अगर आप खुद खुश नहीं होंगे तो किसी और को भी खुश नहीं कर पाएंगे|वैसे भी सब को खुश रख पाना हमारे हाथ मे नहीं है लेकिन किसी को हमारी वजह से दुख ना हो ये जरूर हमारे हाथ मे है | अपने बारे में सोचना,कोई स्वार्थ नहीं बल्कि यह दूसरों का ध्यान रखने के लिए उठाया गया ही एक कदम है।
आप दूसरों को खुश क्यों रखना चाहते हैं ? इसकी वजह खोजें ।
अगर आप उनकी स्वीकृति के लिए ऐसा कर रहे हैं, तो यह जानने की कोशिश करें कि इस चाहत को दूर रखते हुए दूसरों की मदद करने के लिए आप क्या कर सकते हैं ? अगर आपको अस्वीकृति का डर हो तो सोचें कि अस्वीकृत होने पर स्थिति कितनी बुरी हो सकती है। आप जान सकेंगे कि आपकी सोच वास्तविक है या बेवजह की फिक्र ?
अपनी फिक्र कहीं खुदगर्जी तो नहीं ?
जो लोग खुद की खुशी से ज्यादा दूसरों की खुशी को अहमियत देते है, वो लोग अक्सर खुद को मानसिक और शारीरिक तौर पर अस्वस्थ महसूस करते हैं। क्योंकि इन लोगों को अपने आप को समझने और अपनी खुशियों को महसूश करने की क्षमता में कुछ कमी आ जाती है। वे दूसरों की खुशी को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मान लेते हैं | लेकिन वे अक्सर अपनी खुशी के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं । इन लोगों के लिए, स्वस्थ मन और शरीर को बनाए रखने के लिए अपने लिए समय निकालना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन लोगों को दूसरों के लिए खुश होने की जगह, अपने लिए खुश होने की जरूरत होती है। वे खुशी के साथ स्वस्थ रहेंगे और उन्हें अपने आप को समझने और स्वीकार करने की क्षमता मिलेगी।ऐसे में क्या यह जरूरी नहीं हो जाता है, कि आप खुद को याद दिलाते रहें कि अपनी देखभाल करने और अपने बारे में सोचने का मतलब खुद का ख्याल रखना है। खुद को अहमियत देना और अपनी खुशी का ध्यान रखना सेहत के लिए जरूरी है।हमेशा खुश रहना मतलब खुद ही सबसे पहले खुद का ख्याल रखना क्योंकि जिन लोगों को आपसे किसी प्रकार की मदद की उम्मीद होती है वो लोग आपकी खुश देखकर हि खुश हो सकते है और ये भी हो सकता है की आपको नाखुश देखकर वो दुखी दुखी हो जाए |
मदद मांगने में बुराई नहीं
जो लोग दूसरों के बारे मे सोचते है वो लोग अक्सर खुद के लिए ही किसी से किसी प्रकार की मदद मांगने मे भी हिचकिचाते है | उन लोगो की मानसिकता हि इस प्रकार से हो जाती है की वह मदद मांगने से पहले कई बार सोचते है की मे मदद मांगू या नहीं,पता नहीं मुझे मदद मीलेगी भी या नहीं, पता नहीं मेरे मदद मांगने पर लोग मेरे बारे मे क्या सोचेंगे इस प्रकार के और भी कई सवाल उनके मन मे उठते रहते है | उन लोगो मे इस तरह की मानसिक कमजोरी आ जाती है | वो लोग उन लोगों से भी मदद नहीं मांग पते है , जो लोग वास्तविक मे उनकी मदद करने लायक होते है | इस तरह से जो लोग ज़्यादातर दूसरों के बारे मे सोचते है , दूसरों की खुशी का ख्याल रखते है वह लोग तनाव ग्रस्त और मानसिक रुप कमजोर हो जाते है |
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