क्या नई नई बीमारियों कि उत्तपत्ति के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है ?
क्या वर्तमान मे नई नई बीमारीयों की उत्पत्ति के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है ?
हाँ, वर्तमान में नई-नई बीमारियों की उत्पत्ति के लिए स्वयम मनुष्य ही जिम्मेदार है। अंतरिक्ष यातायात, जलवायु परिवर्तन, वनों की कटौती, अन्य प्राकृतिक घातक घटकों, और जनसंख्या वृद्धि जैसे विभिन्न कारणों से, मानव जाति आज नए नए रोगों के सामने खड़ी है। मनुष्य अपनी आवश्यकतों की पूर्ति के लिए प्रकृति से सब कुछ ले तो लेता है परंतु प्रकृति को वापस कुछ नहीं देता है |
प्रकर्ति का वापस देने को इस प्रकार समझ सकते है :- जैसे मनुष्य ने अपनी किसी आवशयता के लिए पेड़ो को काट तो देता है लेकिन वापस नए पेड़ नहीं लगता है जिससे वनों मे काफी कमी आई है | वनो मे आई कमी के कारण मानो हवा मे जहर सा घुल गया है, साथ ही वनो की कमी की वजह से वतावरण भी काफी परिवर्तन हुवा है जिस की वजह है भी कई बीमारियों की उत्तपत्ति हुई है और आगे भविष्य मे भी होने की संभावना है |
वनों की कमी के कारण वन्य जीवों के संरक्षण मे भी कमी आई है कुछ वन्य जीवो की तो प्रजातियाँ विलुप्त होने तक की कगार पर है | वन्य जीवों और मानवों के बीच संबंध सम्बन्धित हैं। जिस तरह मनुष्य की कई जरूरते वनों से पूरी होती है उसी तरह मनुष्य की कुछ जरूरते वन्य जीवों से भी पूरी होती है | साथ ही वन्य जीव भी वनों के संरक्षण मे मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |
इसलिए, वन्य जीवों के मरने और लुप्त होने से भी मानव के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
मनुष्य के आज कल के खान पान की व्यवस्था में असंतुलन और अन्य तत्वों के कारण भी नई नई बीमारियों की उत्पत्ति के लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है । उच्च मात्रा में तले हुए या तेल वाले भोजन जैसे कि फास्ट फूड, चिप्स, नमकीन, और मिठाई जैसे पदार्थ शरीर के लिए अधिक वसा, तेल और शक्कर की आवश्यकता से अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं | आधुनिक खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में तेल, नमक, चीनी, वसा आदि शामिल होने से अधिक उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह, बढ़ी हुई चर्बी, हृदय रोग, मोटापा, कैंसर, अल्सर, पाचन संबंधी विकार, कमजोर आंतों आदि जैसी बीमारियों की उत्तपत्ति के लिए भी मनुष्य स्वयम जिम्मेदार हैं।
इसके अलावा, विभिन्न नकारात्मक खाद्य पदार्थों में मौजूद रहने वाले अधिक मात्रा में आर्टिफिशियल रंग, स्वीटनर, विभिन्न प्रकार के उत्तेजक या अन्य रसायन भी शरीर के लिए हानिकारक हो होते हैं।
साथ हि आधुनिक तरीकों से बनाई गई खाद्य पदार्थों में कई अनिष्ट तत्व भी मौजूद होते हैं, जैसे कि आजकल खाए जाने वाले जंक फूड में अधिक मात्रा में ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड सुगर शामिल होते हैं जो आंतों को क्षति पहुंचाकर विभिन्न बीमारियों का कारण बन गए हैं।
इसके अलावा, मनुष्य अपनी जीवाश्म भंडारण और विकास के लिए विभिन्न तरीकों से प्रयोग करता है, जो नई नई बीमारियों के प्रकारों की उत्पत्ति के लिए भी जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग अधिकतर बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में किया जाता है, लेकिन इससे जिस तरह की रिसिस्टेंट स्ट्रेन विकसित होते हैं, जिनका उपचार इससे कम प्रभावी होता है, उनसे नए रोग पैदा होते हैं।
कुल मिलकर मनुष्य ने अपने व्यवहारों, आहार, जीवन शैली और पर्यावरण के प्रभाव के आधार पर नए रोगों का संचार और उत्पत्ति कर रहा है। मनुष्य के व्यवहारों, आहार, जीवन शैली का प्रभाव स्वयं मनुष्य पर ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों पर भी असर पड़ रहा है वो भी नई नई बीमारियों का शिकार हो रहे है | जैसे लंपी वाइरस , बर्ड फ्लू इबोला वाइरस इन्फ़्लुएंजा वाइरस ऐसे और भी कई बीमारियां है जो पशु पक्षियों में हो जाती है जिसका प्रभाव मनुष्य पर भी पड़ता है, और इसके लिए भी स्वयम मनुष्य जिम्मेदार है |
इसलिए, मानव जाति को एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण को बनाए रखने की जरूरत है, जो नए रोगों के विकास के जोखिम को कम कर सकता है।
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