आत्मसम्मान मतलब खुद का सम्मान



आत्मसम्मान एक व्यक्ति की आत्मा या स्वभाव के सम्बन्ध में उसकी स्वयं के अपने महत्व के बारे में होता है। या यूं कहें कि आत्मसम्मान मतलब खुद को सम्मान देना । आत्मसम्मान का मतलब होता है कि व्यक्ति स्वयं अपने लिए अपने आप को महत्वपूर्ण समझता है, अपने विचारों, भावनाओं, और संवेदनाओं के प्रति समझदार होता है साथ हि अपने अहंकार को संतुलित रखता है।आत्मसम्मान एक व्यक्ति के अपने आप में विश्वास, सम्मान और उत्साह का अभाव न होने की स्थिति होती है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपने आप पर विश्वास रखता है, उसे अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों के लिए स्वयं को समर्पित करता है, अपने संबंधों को सम्मान देता है और अपने मूल्यों का आदर करता है। यह एक सकारात्मक मनोवृत्ति होती है जो व्यक्ति को आत्मविश्वास और स्वावलंबन की भावना देती है।

आत्मसम्मान अधिकतर मानव समाजों में एक महत्वपूर्ण मूल्य है जो उन्हें समाज में सम्मानित एवं सम्मानित बनाता है।आत्मसम्मान उस व्यक्ति को भी सम्मान देता है जो किसी दूसरे व्यक्ति को सम्मान देने में सक्षम होता है। आत्मसम्मान के बिना, व्यक्ति में संतोष और समृद्धि की भावना नहीं होती है जो उन्हें अपने लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। आत्मसम्मान के साथ, व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है और उनकी प्रगति में उच्च स्तर तक पहुंचने में सक्षम होता है।

 आत्मसम्मान का महत्व इस बात में होता है कि जब आप अपने आप पर विश्वास रखते हैं, तो आप संघर्षों का सामना करने में सक्षम होते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए जोश बनाए रखते हैं। इससे आपके जीवन में स्वस्थ और संतुलित संबंध बनाए रखने में मदद मिलती है जो आपके भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

आत्मसम्मान व्यक्ति को अपनी गलतियों से सीखने और उन्हें संशोधित करने की क्षमता देता है। यह उनके व्यवहार, विचार और भावनाओं को संतुलित रखने में मदद करता है ताकि वे अपने संबंधों में सफल और मजबूत बना सकें। आत्मसम्मान एक व्यक्ति की अपनी आवश्यकताओं और महत्व को समझने में मदद करता है और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने में मदद करता है। यह उन्हें अपने स्वयं के लिए और अन्यों के लिए एक समान और समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करता है।

आत्मसम्मान एक बहुत हि बड़ी चीज है अगर किसी कार्य से आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच रही है तो आप काम तो करते रहेंगे, लेकिन पूरे मन से नहीं कर पाएंगे। जिसके बाद आपका डूबना तय हो जाता है इसलिए अपने काबिलियत पर भरोसा करते हुए अपने आत्मसम्मान से समझौता बिल्कुल भी न करें । साथ हि कम भी वही करें, जिस काम से आपको महत्व मिले. आपकी अपनी पहचान हो, ऐसा काम करने से आप बेहतर सफलता पा सकते हैं ।

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