सुख कि लालच में नए दुःख का जन्म होता है !

लालच एक भावना है जो हमें ज्यादा से ज्यादा धन, सम्पत्ति, स्थान, सम्मान, शक्ति आदि को प्राप्त करने की इच्छा दिलाती है। लालच के चलते हम अन्य लोगों के साथ या अपने आसपास के पर्यावरण से जुड़े संबंधों को नुकसान पहुँचाने लग जाते है, लालच में हम सही गलत का भी आंकलन नहीं कर पाते हैं । लालच में हमें सिर्फ़ आगे बड़ने और हासिल करने के अलावा कुछ नहीं दिखाई नहीं देता है। लालच में व्यक्ति खुद को श्रेष्ठ समझने लगता है और अगर उसे कोई गलत समझे तो वो खुद को सही साबित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है । व्यक्ति अधिक धन संपत्ति या किसी वस्तु को हासिल करने के लिए तरह तरह कि तरकीबें सोचता है षडयंत्र रचने लगता है। लेकिन उसी षडयंत्र में एक दिन वह स्वयं भी फंस जाता है । लालच की वजह से व्यक्ति अपने जीवन में संतुष्टि और समृद्धि की असली वजह की खोज नहीं कर पाता है। लालच का मतलब होता है बेकार की खुशी के लिए धन या सामग्री की प्रतीक्षा करना। लालच की वजह से बहुत से लोग अपने जीवन की सारी खुशियों को खो देते हैं।लालच की वजह से व्यक्ति अपनी निजी सुख और संतुष्टि को खो देता है और अपने आप को अन्य लोगों से दूर रखता है। 
यदि हम लालच करें तो हमें कुछ समय के लिए एक वस्तु अथवा सेवा का आनंद मिल तो सकता है, लेकिन यह आनंद अस्थायी होता है। यदि हम लालच करते रहते हैं, तो इसका हमारे स्वास्थ्य और संतुलित जीवन को प्रभावित कर सकता है। 
इसलिए, हमें लालच करने के बजाय संतुष्टि की तलाश करनी चाहिए। संतुष्टि के साथ रहने से व्यक्ति धन, समय और ऊर्जा को नाजायज तरीके से बर्बाद होने से बचाता है। हमें उन वस्तुओं या सेवाओं की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए जो हमें न केवल आनंद देती हैं, बल्कि हमें लाभ भी प्रदान करती हैं। लालच के बजाय, हमें अपने लक्ष्यों और मूल्यों के साथ संतुष्टि कि तलाश करनी चाहिए। संतुष्टि के साथ प्राप्त आनंद हमेशा स्थाई होता है।

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