एक और नई बीमारी का जन्म !
इंडिया के युवा एक नई बीमारी कि चपेट में। और वो बिमारी है तो वो रील्स बनाने की । वैसे तो यह बीमारी हर किसी को हि लगी है। बच्चे बूढ़े जवान सब को रील्स बना के मशहूर होने की लत लगी है । यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि वह अपनी रील्स को वायरल कर के मशहूर हो जायेगा। सब उसे जानने पहचानने लगेगें। वह एक सेलिब्रेटी बन जायेगा फिर उसके पास बहुत सारा पैसा होगा । इस तरह के विचार व्यक्ति को मानसिक रोगी बना देते है। रील्स बनाना इतनी भी कोई बुरी बात नहीं है और ना कोई बडी बीमारी है। पर खुद की जान जोखिम में डाल कर रील बनाना एक तरह की बेवकूफी है । देखा जाए तो दुनियां में अच्छी से अच्छी रील्स बनाने के चक्कर में सबसे ज्यादा मौतें इंडिया में हि हुई है। साथ हि कई लोग बुरी तरह जख्मी हो गए है। रील बनाने के चक्कर में लोग खतरनाक जगहों पर जाकर रील बनाते है जहां पर उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता है । रील बीना जोखिम भरी जगहों पर भी बनाई जा सकती है ।
रील्स का भी अलग अलग क्रेज हो रहा है कोई रिल्स के माध्यम से अश्लीलता फैला रहा है तो कोई लोगों को गुमराह कर रहा है। हद तो तब हो रही है की लोग फॉलोअर्स बड़ाने के चक्कर में कपड़े तक उतारने लग गए तो कुछ छोटे से छोटे कपड़े पहन कर देश की संस्कृति तक का मजाक बना रहे है। तो कोई धर्म विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है।
सोशल मीडिया जहां तक समाज को जोड़े रखती है, लेकिन इस पर फैलाई गई भ्रामक जानकारियां समाज कि एकता को तोड़ भी सकती है। समाज को कई टुकड़ों में तोड़ सकती है। इन रील्स का बच्चों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। कुछ बच्चों के तो माता पिता हि उन्हें रील्स बनाने के प्रोत्साहित करते है । प्रोत्साहन करना कोइ गलत बात नहीं पर पर बच्चों की गतिविधियों पर भी माता पिता को ध्यान देना चाहिए ।
रील्स बनाओ कोई बात पर कोई पर अश्लीलता, भ्रामक जानकारियां, धर्म विरोधी, देश विरोधी आदि नकारात्मक गतिविधियों के संबंध में नहीं बना चाहिए। ताकि देश समाज का माहौल जैसा का तैसा बना रहे । साथ हि अगर लगता हो कि समाज या देश में कुछ बदलाव कि जरूरत हो तो इस संबंध में बनानी चाहिए और जान जाेखिम में डालकर भी रील्स बनाने से बचना चाहिए ।
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