कमियां सब में होती है पर दिखती दूसरों की है!

 
हर इन्सान में कोई ना कोई कमी जरूर होती है। कोई अपनी कमी बता देता है तो कोई अपनी कमियां छुपा लेता है। इन्सान को कभी भी अपनी कमियों को नज़र अन्दाज नही करना चाहिए। क्योंकि हमारी कमियां हमारी कमजोरी भी बन सकती है। ज्यादातर इन्सान अक्सर दूसरों में कमियाँ निकालता रहता है वह  स्वयं की कमियों को देखना भूल हि जाता है। जिस तरह इन्सान दूसरों मे कनियाँ निकाल कर उन्हें ठीक करने कि सलाह देता है। उसी तरह स्वयं कि कमियों को भी देखकर उन्हें दूर कर लेना चाहिए। औरों में कमियां निकालना कोई बड़ी बात नही है, बल्की स्वयं कि कमियों को निकाल कर उन्हे दूर है करना बड़ी बात है।

कनियाँ अक्सर आपकी परेशानीयों को बड़ा भी सकती है। किसी कार्य को ना कर पाने कि आप में कमी हो और वही कार्य आपको भविष्य मे करना पड़ जाए तो निश्चित हि आपको परेशानी होगी। अगर हमे कोई हमारी कमियों से अवगत करवा रहा है, तो हमे हमारी उन कमियों को  तुरन्त दूर करने मे लग जाना चाहिए। कहते है कमियां पीठ की तरह होती है जो सिर्फ दूसरों की दिखाई देती है खुद की नहीं । इसलिए अगर हमें कोई हमारी कमियों से अवगत करवाता है तो उसकी बातों का बुरा नहीं मानना चाहिए । अगर हमने समय रहते हमारी कमियों को दूर नही कि तो भविष्य मे हमारी कमियाँ हि हमारी कमजोरी बन सकती है। क्योंकी लोगों उतनी जल्दी आपकी अच्छाई नज़र नहीं आती जितनी जल्दी आपकी कमियां नजर आती है।
 कमियां अक्सर रिश्तों को भी कमजोर कर देती है। जब इन्सान एक दुसरे में कमियां निकालने लग जाते है तो रिश्ते कमजोर होने लग जाते है। रिश्तों में इन्सान को कुछ कमियों को नज़र अंदाज़ करना पड़ता है तो कुछ कमियों को दूर करना पड़ता है । एक दुसरे में कमियां निकालना कोई गलत बात नहीं है पर इन्सान को उन कमियों को समझ कर आपस में मिलकर दूर भी करना चाहिए। कभी भी किसी रिश्ते को किसी छोटी मोटी कमियों से नही तोड़ना चाहिए क्योंकी कमियां आज नहीं तो कल सुधार जायेगी पर रिश्तों का दोबारा जुड़ना मुश्किल होता है। 

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