शब्दों की ताकत !
किसी से बात करते समय हमें अपने शब्दों के मामले में हमेशा सतर्क रहना चाहिए। क्योंकी की शब्द बहुत शक्तिशाली होते हैं । एक गलत शब्द रिश्तों को तोड़ सकता है। हमारी एक छोटी सी हां और एक छोटी सी ना, हमारा जीवन बदल सकती है। ऐसे बातें न कहें, जिनसे दूसरों को तकलीफ हो सकती है।
हमारे शब्दों में वजन होता है । यह हमारे बोलने के भाव पर आधारित होता है। हम कैसे बोल रहे है और क्या बोल रहे है यह हमारे भाव से साफ झलक आता है । हमारे बोलने के भाव से हमारा एक शब्द मंत्र हो जाता है तो एक शब्द गाली हो जाता है । हमारी वाणी हमारे व्यक्तित्व का परिचय परिचय दे देती है । एक अच्छा इन्सान अपनी जुबान से ही पहचाना जाता है वर्ना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है। शब्द तो दिल से निकलते है दिमाग से तो सिर्फ मतलब निकलते है ।
शब्दों के इस्तेमाल में सतर्कता इसलिए भी जरुरी है की हमारे इस्तेमाल किए गए शब्दों से किसी को ठेस पहुंच सकती है तो किसी को खुशी भी हो सकती है। मतलब हमारे शब्द महके तो लगाव, बहके तो घाव हो जाते है।
हमारे शब्दों को समझना उनका मतलब निकालना सब के बस की भी बात नहीं है । कभी कभी हम हमारे शब्दों का कितनी ही समझदारी से क्यों ना करें उनको समझना उनका मतलब निकालना सुनने वाले के मन के विचारों, उसकी योग्यता के ऊपर निर्भर करता है। यह वह व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है की वह हमारे शब्दों को कैसे समझ रहा है और उनका क्या मतलब निकाल रहा है।
शब्दों का इस्तेमाल मूड के हिसाब से भी नहीं करना चाहिए। आज हम हमारे खराब मूड की वजह से गलत शब्दों का इस्तेमाल तो जरुर कर लेंगे लेकीन ये शब्द हमारे जीवन में बहुत कुछ बदल कर रख देंगे । हमारे खराब मूड को बदलने के तो कई मौके मिलेंगे, लेकीन शब्दों को बदलने के मौके नहीं मिलते है।
शब्दों में तापमान भी होता है यह कभी सुकून दे जाते है तो कभी जला जाते है। यदि किसी की कोई बात बुरी लग जाए तो दो तरह से सोचना चाहिए यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो उसकी बातों को भूल जाएं और
बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाएं ।
यह बात विचित्र है किन्तु सत्य अपनों के लिए लोग गोली सह सकते हैं लेकिन अपनों की कड़वी बोली नहीं सह सकते हैं । इन्सान के शब्द भी चाबी की तरह होते हैं, इनका सही इस्तेमाल करके इन्सान कई लोगों के मुँह बंद कर सकता है और दिल के ताले खोल सकता हैं।
इन्सान के शब्दों के दांत तो नहीं होते है, लेकिन जब काटते है, तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी
घाव इतने गहरे हो जाते है कि जीवन समाप्त हो जाता है
परन्तु घाव नहीं भरते । इसलिए जीवन में जब भी बोलो
मीठा बोलो और ऐसा बोलो की हमारे शब्दों से किसी को ठेस ना पहुंचे । इन्सान का शरीर सुंदर हो या न हो पर शब्द जरूर सुंदर होना चाहिए, क्योंकि
लोग चेहरे भूल जाते हैं पर शब्द नहीं भूलते।
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