इन्सान का अहंकार उसे उसके विनाश की और ले जाता है !



अहंकार
 इन्सान के विनाश का सबसे बड़ा कारण है तो वो है उसका अहंकार । इन्सान का अहंकार उसे झुकने नहीं देता है । इन्सान का ना झुकना हि उसे उसके विनाश कि और ले जाता है। अहंकार होने को इन्सान खुद को सर्वश्रेष्ठ समझने लगता है। उसे अपने अन्दर कोई भी कमी नही दिखाई देती है वह बस दूसरो मे कमीयाँ निकालने लगता है। वह अहंकार में इतना अंधा हो जाता है कि क्या सही है क्या गलत है उसे यह तक नहीं दिखाई देता है। इन्सान का अहंकार उससे किसी प्रकार का कोई समझोता भी नही करने देता है। जब किसी कारण से कोई विवाद हो जाता है तो उस विवाद को समझोते से खत्म किया जा सकता है, लेकिन अहंकार इन्सान को किसी प्रकार से कोई समझौता नही करने देता है और समझोता ना होने कि वजह से विवाद और बढ़ जाता है।
 इन्सान के जीवन में परेशानीयों कि  उत्तपत्ति भी अहंकार कि वजह से हि होती है। जिस परेशानी शांतिपूर्व ,विनम्रत्ता पूर्वक हल किया जा सकता है, लेकिन इन्सान अपने अहंकार कि वजह से उस परेशानी को और बड़ी कर लेता है और वह परेशानी उस विनाश कि और ले जाती है। इन्सान के उपर जब भी कोई परेशानी आती है तो इन्सान को उस परेशानी से निपटने के लिए शांति पूर्वक योजना बनाना चाहिए लेकिन अगर इन्सान में अहंकार है तो वह उसे शांत रहने हि नही देगा। उसका अहंकार उसे परेशानी से निपटने के मार्ग की और ले जाने कि बजाए परेशानी को और बढ़ाने के मार्ग कि और  ले जाएगा। अहंकार में इन्सान हमेशा गलत निर्णय हि लेता है और उसका गलत निर्णय हि उसे बर्बाद बर्बाद कर देता। इस लिए इन्सान के उपर जब भी कोई परेशानी आती है तो उस समय अपने अहंकार को त्याग कर परेशानी से निपटने  के लिए शांतिपूर्वक योजना बनाना चाहिए
 रिश्तों के टूटने कि वजह भी है अहंकार ! अक्सर जब दो लोगो के बीच मे किसी बात से कोई विवाद होता है तो वह दोनों अपने अपने अहंकार कि वजह से एक दूसरे को नीचा दिखाते रहते है जिससे रिश्ता टूट जाता है । अगर अहंकार को त्याग कर एक दूसरे से माफी मांग ली जाए तो शायद रिश्ता टूटने की बच जाता है। अहंकार इन्सान को झुकने नही देता है और इन्सान का ना झुकना हि उसे मुसीबत मे डाल देता है। इन्सान को हमेशा हि अहंकार से दूर रहना चाहिए। अगर इन्सान ज्यादा हि अहंकारी है तो उसे समाज में सम्मान भी नहीं मिलता है। साथ हि वह समाज मे सब की नजरों मे इर्ष्या का पात्र बन जाता है। अहंकार आपकी संपत्ति मान सम्मान के लिए भी हानिकार हो सकता है। इसलिए इन्सान को हमेशा हि अहंकार से दूर रहना चाहिए। ताकि समाज में उसका मान सम्मान बना रहे।
अब जरुरी नहीं कि आपका अहंकार हमेशा ही आपके लिए हानिकारक हो कभी कभी आपका अहंकार आपके लिए फायदे मंद भी हो सकता है। आपके अहंकारी बनने को आपको यह पता लग जाता है कि कौन आपके साथ है और कौन आपके खिलाफ है। कौन आपके अपने है कौन पराए है। अगर आपसे कोई गलती हुई और आप उसे स्वीकार ना कर अहंकारी बन रहे हो, तो जो आपका अपना होगा वह आपकी गलती को अपनी गलती मानकर आपके सामने झुक जाएगा और आपसे माफी मांगेगा और जो आपको खिलाफ होगा वह भी आपकी तरह अहंकारी बनकर रिश्ते को तोड़ देगा ! वह रिश्ते को बचाने की कोई भी कोशिश नही करेगा। ऐसे लोग आपसे अलग होने के बहाने का इन्तजार कर रहे होते और वह बहाना आपके अहंकार के रूप में उन्हे मिल जाता है।  

कभी कभी हमे कहीं जगह पर हमे हमारी काबिलियत का प्रमाण भी देना पडता है, जब हमारे काबिल होने पर भी कोई अकाबिल व्यक्ति हमारी काबिलियत का मजाक उडाए तो फिर हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और कहते है कि जब बात आत्मसम्मान की हो तो इन्सान को ना तो झुकना चाहिए और ना ही किसी प्रकार का कोई समझौता करना चाहिए । ऐसे माहौल मे आपका अहंकार आपके लिए जरुरी हो जाता है ।

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