विरोध करो पर विरोध को कभी विद्रोह का रुप मत दो
जब जब भी कोई गलत घटना होती है तो उसके खिलाफ आवाज उठाई जाती है । गलत को गलत कहना ही विरोध है । किसी भी अत्याचार के खिलाफ खड़े होना उसके खिलाफ आवाज उठाना भी विरोध है । कुल मिलाकर किसी भी गलत बात का समर्थन ना कर उसके खिलाफ आवाज उठाना ही विरोध है ।
किसी भी बात का विरोध करना कोई गलत बात नहीं हैं पर किसी भी सही बात का विरोध करना गलत बात है । हमें किसी भी बात का विरोध करने से पहले यह बात जरुर जान लेना चाहिए कि हम जिस बात का विरोध कर रहे हैं वह बात वाकई गलत भी हैं या नही कहीं हम लोगों के बहकावे में आकर तो विरोध नही कर रहे हैं । कई बार देखा गया है कि कभी कभी छोटे छोटे विरोध भी उग्र रुप ले लेते है, तो कभी आंदोलन का रुप ले लेते हैं । विरोध करते करते लोग दंगे तक पर उतर आते हैं । सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाने लगता हैं कोई बस जलाने लग जाता है तो कोई ट्रेन जलाने लग जाता है । जो कि ये सब विरोध करने का सही तरीका नहीं हैं ।
विरोध आवश्यक है लेकिन हमारे विरोध से किसी को किसी प्रकार कि हानि नहीं होनी चाहिए । अगर हम किसी समूह के साथ विरोध कर रहे हैं तो समूह के सारे सदस्य भी एक मत होने चाहिए । आज अगर हम इतिहास उठाकर भी देखेंगे तो बहुत से बड़े बदलाव विरोध की वजह से ही हुए है । हमारा विरोध विद्रोह का रुप ना ले इस बात का जरुर ध्यान रखना चाहिए ।
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