नौकरी करने वाले जैसे दिखते है वैसे होते नहीं है !
नौकरी
आज हर इंसान का एक अच्छी नौकरी पाने का सपना होता है। और सपना क्यों ना हो क्योंकि एक अच्छी नौकरी जीवन में सुख शांति और जीवन यापन करने के लिए बहुत जरूरी भी है । आज कल नौकरी से हि तो लोगों का घर बार चल रहा है । बच्चों कि पढाई से लेकर मकान की किस्त तक ये सब नौकरी से हि चल रहे है । नौकरी के बिना इंसान को तो जिन्दगी भी बेकार सी लगने लग जाती है । वैसे प्रायवेट नौकरी वालो की जिन्दगी थोडी उलझी हुई सी रहती है, क्योंकि उनकी नौकरी कभी भी जा सकती है । यह डर उनको हमेशा बना रहता है । लेकिन सरकारी नौकरी वालो को तो किसी प्रकार का कोई डर नही होता है । एक अच्छी नौकरी इन्सान इसलिए भी जरूरी समझता है कि नौकरी रिस्क फ्री लगती है । बस 8-10 घंटे काम करो या खुब से खूब 12 घंटे कर लो उसके बाद कोई झंझट नही और दूसरी बात नौकरी में आय सीमित रहती है जिससे इन्सान की सारी जरूरतें पूरी तो नहीं हो सकती परन्तु वह अपनी नौकरी की आय से अपनी जरूरतों को धीरे धीरे कर के पूरा करने का सन्तुलन जरूर बना लेता है । भले हि वह अपनी बड़ी जरूरते पूरी ना कर सके लेकिन अपनी तमाम छोटी छोटी जरूरतें पूरी कर लेता है | एकदम से ना सही किस्तों में हि सही पर पर जरूरतें पूरी कर लेता है ।
समाज भी नौकरी मंद इन्सान को सम्मान देने लगता है । साथ हि साथ समाज उसे संस्कार वान के साथ साथ जिम्मेदार नागरिक भी समझने लगता है । समाज सम्मान दे , जिम्मेदार नागरिक समझे इन सभी वजहों से भी हर इंसान को एक अच्छी नौकरी कि चाह होती है । क्योंकि नौकरी करने वाला व्यक्ति समाज के नजरिए से खुद को व्यापार करने वाले व्यक्ति से खुद को सुरक्षित समानता है । समाज को लगता है कि व्यापार मे लाभ-हानि उतार- चढ़ाव चलता रहता है, लेकिन नौकरी में को कोई उतार चढ़ाव नहि होता है | एक सीमित आय होती है और कार्य करने की भी एक निश्चित समयावधि होति है । ऐसे कई कारण है जिसकी वजह से हर इंसान का एक अच्छी नौकरी का सपना देखता है ।
वैसे नौकरी करना आसान भी नहीं होता है । नौकरी में इंसान को कभी-कभी अपनो से दूर भी जाकर नौकरी करन पडता है । अपना घर-गाँव छोडना पड़ता है । फिर अपने ही घर गाँव वापस जाने के लिए दूसरों से इजाजत लेना पडता तब जाकर घर गाँव जाकर अपनो से मिलना नसीब होता है । अगर घर गाँव छोडकर अन्य जगह नौकरी कर रहे है तो इस बात भी कोई ग्यारंटी नहीं होती है कि कौन सा त्यौहार परिवार के साथ मनाएँगे तो कौन सा त्यौहार परिवार के बिना मनाना पड़ेगा । कभी कभी नौकरी करने वालो को इतना तक समय नही मिल पाता है कि वह अपने परिवार के साथ जाकर दिवाली के दो-चार दिए जला सके ना हि होली पर अपनो को लाल पिला कर सके । ऐसे हालात मे तारिफ करने वाला समाज भी बुराई करने लग जाता है । कहता है पारम्पारिक त्यौहारों को अपने परिवार के साथ ना मनाकर नौकरी को महत्व देने वाला बताकर सम्मान करने वाला समाज भी अपमानित करने लग जाता है । नौकरी करने वाले कि स्थिति एक नौकरी करने वाला हि समझ सकता है । एक नौकरी करने वाला अपनी सीमित आय के हिसाब हि अपने खान- पान रहन- सहन का सन्तुलन बना कर रखना है | वह अपनी सीमित आय के हिसाब सपने देखता है । वह अपनी आय से ज्यादा बड़े सपने भी नहीं देख पाता है | अगर सपने देख भी लिए तो पुरे नही कर पाएगा । यहाँ तक कि वह अपने खर्चों को कम कर के कुछ बचाने कि भी सोचता है तो वह नहीं बचा पाता है | भले ही बेचारे की तनख्वाह महीने की शुरुवात में आती है लेकीन महिना खत्म होते होते उसकी पूरी तनख़्वाह खत्म हो जाती है कभी कभी तो बेचारा दूसरों से मांगने पर मजबूर हो जाता है | अब वह लोगों को कैसे बताए की उसकी तनख़्वाह आने का सिर्फ एक रास्ता होता है पर उसके जाने के कई रास्ते होते है | समाज को हम सब को यह जरूर लगता है कि नौकरी करने वालो कि जिन्दगी मस्त होति है । लेकिन वास्तव नहीं होती है | उनकी तनख्वाह आने से पहले उसके जाने के रास्ते तय हो जाते है । समाज को भले हि लगता हो कि नौकरी वालो का जीवन सुख शांति का होता है, लेकिन वह एक सीमित आय मे खुद को कैसे संतुलित किए हुए है यह तो वो हि जानते है । समाज के किसी व्यक्ति ने अगर कुछ पैसे मांग लिए और उसे ना दे पाएं तो दो-चार बांते सुनाएगा । भले हि उसे अपनी आय का व्यय पूरे विस्तार में क्यों ना बता दे फिर भी वह इस बात पर विश्वास नहि करेगा कि उसको देने के लिए हमारे पास पैसें नहि है । समाज के आम लोग शायद हि नौकरी वाले की स्थिति समझ पाएंगे । नौकरी वाला व्यक्ति उसकी सीमित तनख्वाह मे खुद के खान- पान रहन- सहन को कैसे संतुलित बनाए रखता है, वह तो वही जानता है । अब जरूरी नहि कि हर नौकरी करने वाले की स्थिति इसी प्रकार हि हो कुछ लोगों कि स्थिति बेहतर भी होति है । यह उनके नौकरी में पद, उनकी मासिक आय पर निर्भर करता है । इसके पिछे उनकी कढी मेहनत और उनकी उच्च शिक्षा का महत्त्व होता है । या फिर नौकरी की आय के आलवा अन्य कोई आय के संसाधन भी हो सकते है । वह अपनी नौकरी कि आय एवं अपनी अन्य आय अपनी से सारी जरूरते पूरी करते हैं ।
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