ज़िम्मेदारी इंसान को उम्र से पहले बढ़ा बना देती है !



 ज़िम्मेदारी

हमारे जीवन की शुरुआत ही ज़िम्मेदारी से होती है | इंसान बचपन से लेकर बुढ़ापे तक ज़िम्मेदारी से घिरा होता है | अब वही ज़िम्मेदारी पारिवारिक है या स्वयं उसके किसी कार्य की हो हर इंसान पर कोई न कोई ज़िम्मेदारी जरूर होती है | जिम्मेदार व्यक्ति हर दम परिवार, समाज और कार्यक्षेत्र में आदर प्राप्त करता है, और आदर्श व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है। बचपन में ही हमें हमारा समाज और परिवार ज़िम्मेदारियों से अवगत करवा देता है जिसमें हमें अच्छे गुण और अच्छे संस्कार  सीख  कर अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना होता है  प्राथमिक शिक्षा को पूर्ण करने की ज़िम्मेदारी ,परिवार के छोटे बड़े सदस्यों का मान सम्मान करने की ज़िम्मेदारी, समय की  कदर  करना  जो  महत्वपूर्ण  चीजें  हैं, जिसके कारण आप  कोई  भी  काम  तय समय  पर  पुरा  करने  का अच्छा  गुण  सीख  सकते  हैं | ऐसी और भी बहुत कुछ ज़िम्मेदारियां हमें बचपन से ही मिल जाती है | कहते है जिम्मेदारियाँ उम्र से पहले ही बड़ा बना देती है, ज़िंदगी की हर बड़ी मुसीबत से लड़ा देती है | अगर परिवार के बड़े बेटे हुये तो परिवार के छोटे भाई बहनों की देख रेख की ज़िम्मेदारी, और अगर कमाने लग गए तो उनके पालन पोषण से लेकर उनकी शिक्षा को पूर्ण करवाने तक की ज़िम्मेदारी हमें मिल जाती है | ज़िम्मेदारी उठाना कोई बड़ी बात नहीं है उसे निभाना बड़ी बात है |

जिम्मेदारी  उठाना  और  निभाना  दो  अलग -अलग  बात  हैं, जो ज़िम्मेदारी हमें समाज और परिवार मे रहकर मिलती है उस ज़िम्मेदारी को हमें निभाना पड़ता है और जो ज़िम्मेदारी हम स्वयं लेते है वह ज़िम्मेदारी उठाना होती है | ज़िम्मेदारी हमे हर जगह मिलेगी  समाज मे रह रहे तो समाज के वातावरण को संसकारों,अच्छे आचरण और अच्छे गुणों को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी और अगर हम कोई नौकरी कर रहे या किसी कार्य से जुड़े है तो कार्य को सही से करने की ज़िम्मेदारी होती है | जिस  क्षण  आप  अपने  जीवन  में  हर  चीज  की  जिम्मेदारी  लेते  हैं  उसी  क्षण  से आप  अपने  जीवन  में  सब  कुछ  बदल  देते  हैं  जिम्मेदार  व्यक्ति  हार  नहीं,  सिर्फ  अपनी  गलती  मान  उसे  ठीक  करते  हैं 

 इंसान चाहे जितनी भी कोशिश क्यों ना कर ले वह जिम्मेदारियो से एक पल के लिए भाग तो जरूर सकता है पर जिम्मेदारियो से पीछा नहीं छुड़ा सकता | जीवन का निर्वाहन  करते  हुए हमे  कई  तरह  की  जिम्मेदारियों को निभाना  होता  है | 

 जीवन  में  उन्ही  व्यक्तियो  ने  सफलता  प्राप्त  की  है, जिन्होने  अपनी जिम्मेदारी को  पूरी  ईमानदारी  से  स्वीकार  किया  है, और  पूरी  ईमानदारी और  निष्ठा  से  उसका  विश्वास  किया  है   जिम्मेदार  होना  मतलब हर  चीज और  हर परिस्थती से संवेदन  पूर्ण  गुणवत्ता  और  उसकी  प्रती  सतर्क  वृत्ति  भी  इसमे  व्याप्त  होती  है | सभी  गैर-जिम्मेदार  लोग  हमेशा  किसी  ना  किसी  मुसिबत  मे  फंसे  नजर आते  हैं  कहते है अपनी  जिम्मेदारी  के  प्रति  ईमानदार  बनो, सफलता  अपने  आप  आपके पास    जाएगी।

इंसान को कभी भी ज़िम्मेदारी लेने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जिम्मेदारियाँ इंसान को हुनरमंद बनाती है | जब भी कोई इंसान ज़िम्मेदारी को लेता है तो वह उस कार्य मे भी हुनरमंद बन जाता है जिस कार्य को करने का उसको पहले से कोई अनुभव ही ना हो | साथ ही अगर कोई इंसान ज़िम्मेदारी को परिशनियों मे लेता है तो वह इंसान ज़िम्मेदारी निभाते निभाते उस परेशानी को भी दूर कर देता है | कुछ इंसानों को जिम्मेदारियाँ इंसान उम्र से पहले ही बड़ा बना देती है जिस उम्र मे इंसान को शिक्षा ग्रहण करनी होती है उस उम्र मे इंसान को मेहनत करना पड़ जाता है | जब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना हो तो इंसान को कच्ची उम्र मे ही कमाना पड़ जाता है जिससे इंसान का बचपन भी मेहनत मे गुजर जाता है | लेकिन जब इंसान कच्ची उम्र मे कमाने लग जाता है तो वह भविष्य मे हर ज़िम्मेदारी को निभाने मे सक्षम हो जाता है साथ ही वह जीवन मे वह हर परेशानी से निपटने मे भी सक्षम हो जाता है |

 इसलिए  इंसान को कभी भी ज़िम्मेदारी लेने से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जिम्मेदारियाँ इंसान को हुनरमंद बनाती है

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