" विश्वास " बनाए रखना आसान है या मुश्किल ?
"विश्वास" विश्वास बनाए रखना इस दुनिया में सबसे मुश्किल काम है| विश्वास का संतुलन हमें तराजू की तरह बनाए रखना पड़ता है पर कभी कभी हद से ज्यादा विश्वास करना भी हमें अंधा बना देता है | हम कभी कभी किसी पर इतना विश्वास कर लेते हैं कि अगर हमारा भरोसेमंद हमारे साथ विश्वासघात कर के कहे की यह कार्य किसी और का है तो हम उसकी इस बात पर विश्वास कर किसी दूसरे को गलत समझ लेते हैं | विश्वास करना कोई बुरी बात नहीं है पर विश्वास में अंधे होना बहुत बुरी बात है | किसी और की बात पर विश्वास करने से पहले उस बात का स्वयं को भी निरीक्षण कर लेना चाहिए | अब जरूरी नहीं कि हर कोई आपका विश्वास जीतकर आपके साथ विश्वासघात ही करे पर हर किसी पर विश्वास करना करना भी तो गलत है |
जहां तक बात रिश्ते में विश्वास की है यहां विश्वास का होना बहुत जरूरी है | रिश्तो में किया गया विश्वास रिश्तो को मजबूत बनाता है | रिश्तो में विश्वासघात की संभावना तब होती है जब दो इंसानों के रिश्तो के बीच में किसी एक इंसान को रिश्ते को बनाए रखना पसंद नहीं होता है |
जब कोई आपका विश्वास तोड़ कर दोबारा विश्वास जीतने की कोशिश करें तो ऐसे इंसान से भी आपको सतर्क रहना चाहिए | जरूरी नहीं कि वह इंसान आपके साथ दोबरा विश्वासघात ही करें पर हो सकता है कि वह पहली बार विश्वासघात करके उसके मकसद में कामयाब ना हुवा हो तो हो सकता है वह दूसरी बार आपके साथ विश्वासघात करके अपने मकसद में कामयाब हो जाए |
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