शिक्षा का व्यापरिकरण


 

  शिक्षा का व्यापारिकरण

वेसे तो शिक्षा हर इंसान का अधिकार है लेकिन आज हमारे देश मे शिक्षा का व्यापारिकरण हो रहा है और इस व्यापारिकरण का कोई  जिम्मेदार है तो वो आम आदमी भी है और भी सरकार है | देश मे कहीं ना कहीं किसी ना किसी कोने में प्रायवेट स्कूल कॉलेज का निर्माण चलता ही रहता है  आखिर देश मे प्रायवेट स्कूल कॉलेज की आवशयकता क्यों ? क्या देश के सरकारी स्कूल कॉलेज मे शिक्षा व्यवस्था मे कमी है ? ऐसे ही कई सवाल है | एक आम नागरिक भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल कॉलेज मे ना भेजकर प्रायवेट स्कूल कॉलेज भेजता है ताकि उसके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिल सके | क्योंकि एक आम नागरिक भी जनता है की सरकारी स्कूल कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था मे कही ना कही कुछ तो कमी है | वास्तव मे सरकार इसके लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार है | हां कुछ राज्यों ने प्रायवेट स्कूल कॉलेजों की फीस और शिक्षा व्यवस्था पर कानून बनाए है | लेकिन क्या सरकारी स्कूल कॉलेजों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए पूरे देश मे एक समान कानून नहीं बनाए जा सकते ? देश मे सरकारी स्कूल कॉलेजों मे शिक्षा व्यवस्था ठीक ना होने की वजह से आज भी कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते है | वैसे देश मे शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कोई ज्यादा ठोस कानून बनाने की जरूरत नहीं है, बस एक ही कानून बना दिया जाए की प्रत्येक सरकारी कर्मचारी चाहे वो कलेक्टर हो या सांसद विधायक या किसी मंत्री का बच्चा हो या किसी चपरासी का बच्चा हो वह सिर्फ ओर सिर्फ सरकारी स्कूल कॉलेज मे ही पढ़ सकेंगे | बस इस एक नियम कानून से ही देश की शिक्षा व्यवस्था मे अपने आप सुधार आ जाएगा | यह कानून नियम किसी राज्य मे नहीं बल्कि पूरे देश मे लागू होना चाहिए | लेकिन यह नियम देश में लागू होना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इस व्यापारिकरण मे सरकारी कर्मचारी और नेता मंत्री सब कहीं ना कहीं शामिल होते है ।

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