"कर्ज" वो बोझ है जो इन्सान को मेहनत करने पर मजबूर कर सकता है। इन्सान इस बोझ को जल्दी से जल्दी उतरना चाहता है । अगर हमारे उपर कोई
"कर्ज" नही है तो हम जिंदगी में आगे नहीं बढ सकते । क्योंकि इन्सान बिना
"कर्ज" के चिंता मुक्त हो जाता है और इन्सान पर आलस हावी हो जाता है। दुनियां में जितने भी अमीर व्यक्ति है, उन पर करोड़ों का
"कर्ज" है, और वो उसी
"कर्ज" से अपने बिजनेस का विस्तार कर के मुनाफा कमाते है और
"कर्ज" चुकाते है । मतलब साफ है इन्सान के उपर कुछ तो
"कर्ज" होना चाहिए । परन्तु इतना भी
"कर्ज" नहीं कर लेना चाहिए की हम
"कर्ज" चुका ना पाएं । इसलिए
"कर्ज" लेने से पहले
"कर्ज" उतारने का रास्ता भी निकाल लेना चाहिए ।
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